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एक एक कर गुजर रहे है , सारे ही त्यौहार माँ |
छुट्टी लेकर कब आएंगे ,पापा अबकी बार माँ ||
बात बात में तू माँ आजकल , जाने कहाँ खो जाती है |
कहीं घुमाने का कहने पर क्यों , रोने लग जाती है ||
कहाँ गयी मुस्कान तेरी वो , कहाँ गया वो प्यार माँ |
छुट्टी लेकर कब आएंगे , पापा अबकी बार माँ ||
क्यों तूने बिंदिया लगाना , कुछ महीनो से छोड़ दिया |
जिसमे था सिंदूर मांग का , उस डिबिया को तोड़ दिया ||
बिछिया , पायल , कंगना के बिन , तू लगती है बीमार माँ |
छुट्टी लेकर कब आएंगे , पापा अबकी बार माँ ||
आँसू रोक नही पायी माँ , सुन तुतलाती बातो को |
आ सीने से लग जा लाल , बोली फैलाकर हाथो को ||
आँख पोछकर मुन्ना बोला , होना मत लाचार माँ |
छुट्टी लेकर नही आएंगे , पापा अबकी बार माँ ||
तूने तो कमजोर समझकर , मुझसे सबकुछ छिपा दिया |
कल शाला में मेरे गुरूजी ने , मुझको सबकुछ बता दिया ||
जान सच्चाई साडी मुझको , गर्व हुआ है अपार माँ |
छुट्टी लेकर नही आएंगे , पापा अबकी बार माँ ||
तेरा दूध पिया है मैने , और आँचल में लेता हुँ |
मातृभूमि पर प्राण दिए , मै उस शहीद का बेटा हुँ ||
पापा के सारे सपनो को , कर दूंगा साकार माँ |
छुट्टी लेकर नही आएंगे , पापा अबकी बार माँ ||
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